Monday, September 3, 2018

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Wednesday, May 9, 2018

सर दर्द का रामबाण ईलाज | क्या करें जब सर दर्द हो



सिरदर्द होना आज एक आम समस्या बन गया है। लेकिन इसके उपचार के लिए हमेशा पेन किलर लेना ठीक नहीं, आप कुछ हर्ब्स की मदद से इस समस्या से छुटकारा पा सकते हैं।
भागदौड़ भरी जिंदगी, बढ़ते तनाव और ऐसे ही कई अन्य कैरणों के चलते सिरदर्द एक आम समस्या बनता जा रहा है। ऐसे में लोग अक्सर पेन किलर का सहारा लेते हैं। लेकिन ज्यादा पेन किलर खाने पर रिएक्शन का डर बना रहता है। इसीलिए सिरदर्द दूर करने के लिए आप कुछ प्रभावी हर्ब्स का प्रयोग कर सकते हैं। चलिए जानते हैं कि सिरदर्द के इलाज के लिए कौंन से हर्ब्स मौजूद हैं।
परंपरागत रूप से चिंता और अनिद्रा की स्थितियों के इलाज के लिए पैशनफ्लॉवर को जड़ी बूटी के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह सिरदर्द के इलाज में भी कभी कारगर साबित होता है। जैसा की इसके नाम से पता चलता है यह हर्ब बड़ी इच्छाओं के चलते तनाव पूर्ण जीवन बिती रहे लोगों वाले लोगों के नर्स सिस्टम को शांत कर सिरदर्द जैसी समस्या से बचाने में कारगर होता है।

अन्य सिरदर्द दूर करने वाली हर्ब्स की तरह वाइट विलो बार्क भी सिरदर्द दूर करने वाली एक कारगर हर्ब है। इस हर्ब को एस्प्रिन सप्लिमेंट में भी इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन एक एनाल्जेसिक के रूप में यह हर्ब अन्य हर्ब्स की तरह लक्षणों को ना मिटाकर सीधा सिरदर्द को दूर करती है।

Thursday, April 12, 2018

रतनपुर का मां महामाया मंदिर



कहते हैं जो भी इस मंदिर की चौखट पर आया वो खाली नहीं गया। जितनी अनोखी इस मंदिर की मान्यता है। उतनी अनोखी इस मंदिर की कहानी है। यहां बैठी मां महामाया देवी के आशीर्वाद से हर संकट दूर हो जाता है। कुंवारी लड़कियों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। लोगों के सभी कष्ट दूर हो जाते है। देवी मां के इस मंदिर को 51 शक्ति पीठ में एक माना जाता है।

 छत्तीसगढ़ में  बिलासपुर से 25 किलोमीटर पर स्थित आदिशक्ति मां महामाया देवी की पवित्र पौराणिक नगरी रतनपुर का इतिहास प्राचीन एवं गौरवशाली है। त्रिपुरी के कलचुरियों की एक शाखा ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक छत्तीसगढ़ में शासन किया। राजा रत्नदेव प्रथम ने मणिपुर नामक गांव को रतनपुर नाम देकर अपनी राजधानी बनाया। श्री आदिशक्ति मां महामाया देवी मंदिर का निर्माण राजा रत्नदेव प्रथम द्वारा 11वी शताब्दी में कराया गया था।

नागर शैली में बने मंदिर का मण्डप 16 स्तम्भों पर टिका हुआ है। भव्य गर्भगृह में मां महामाया की साढ़े तीन फीट ऊंची दुर्लभ प्रस्तर प्रतिमा स्थापित है। मान्यताओं के अनुसार मां की प्रतिमा के पृष्ठ भाग में मां सरस्वती की प्रतिमा है जो विलुप्त मानी जाती है। 

Friday, April 6, 2018

आरक्षण क्या है?

आरक्षण क्या है? पहले इसके बारे में जानना अति-आवश्यक है तभी हम इसकी मूल धारणा को जान पाएंगे। अलग अलग लोगो में अलग अलग मत है कोई कहता है होना चाहिए कोई कहता नहीं होना चाहिए। कोई कहता है यह संविधान की मूल अवधारणा के खिलाफ है। कोई कहता है जो बाबा साहेब लिख कर गए आरक्षण के बारे में उसके खिलाफ है।
सबसे मूल बात जो है आरक्षण उसके बारे में लोग बात तो करना चाहते है लेकिन क्या वे इसके व्यापक स्तर को बहस का मुद्दा बनाना चाहते है शायद नहीं, क्योंकि किसी से भी बहस कर ले उनके आरक्षण का मुख्य मुद्दा हमेशा जातिगत आरक्षण के साथ चिपकी हुई नज़र आती है। ऐसा क्यों है? ऐसा इसीलिए है क्योंकि वे आरक्षण की मूल अवधारणा जो बाबा साहेब ने संविधान में रखी थी उससे भली भाँति अवगत ही नहीं है और जब उसी का पालन आज तक नहीं हो पाया जिसकी वजह से आप और हम इस बहस को एक मुद्दे के तौर पर अपने मन मुताबिक उछालते रहते है। सबसे पहले आप आरक्षण के बारे में समझे इतना विरोध होने के वावजूद बाबा साहेब ने यह प्रावधान संविधान में रखा, ऐसा कैसे हो गया जहाँ संविधान को बनाने के करता धर्ता आज की तारीख में मनुवादी कहलाने वाले लोग थे फिर भी इस बात की सार्वभौमिकता कैसे स्थापित हो गयी की संविधान में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए। कुछ ना कुछ तो रही होगी सत्यता इन बातो में तभी इस शब्द का प्रयोग हुआ संविधान में। कोई इस बात को नज़रअंदाज़ नहीं कर सकता है, लेकिन आरक्षण होना चाहिए या नहीं यह एक अलग मुद्दा है लेकिन आमलोगो की राय हमेशा से जातिगत आरक्षण के आस पास सिमट कर रह जाती है।

1932 में जब गोलमेज सम्मलेन में इस बात पर सहमति बनी की आरक्षण होना चाहिए तो आखिर इसका आधार क्या होना चाहिए तो वहाँ पर यह तय हुआ की समाज में सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से लोग समाज के मुख्य धारा से वंचित रह गए है उनकी सूची तैयार की जाय और उस सूची के आधार पर समाज में इन लोगो के लिए कुछ प्रावधान रखा जाय ताकि इनको समाज की मुख्य धारा में शामिल किया जा सके और बाद में इसी को आधार बनाकर बाद में संविधान में प्रावधान रखा गया और इस सूची को संविधान में नाम दिया गया अनुसूचित जनजाति और अनुसूचित जनजाति बाद में इसी सूची में एक नया सूची शामिल किया गया जिसको नाम दिया गया अत्यंत पिछड़ा वर्ग। आरक्षण पेट भरने का साधन नहीं, इसका जो मूल अर्थ है वह है प्रतिनिधित्व। आरक्षण के द्वारा ऐसे समाज को प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया गया जो शुरू से समाज के अंदर दबे कुचले रहे है। इस प्रतिनिधित्वता को नाम दिया गया राजनितिक आरक्षण जो शुरुआत में संविधान में शामिल किया गया था पहले 10 सालो के लिए था। लेकिन जो सामाजिक आरक्षण उसकी अवधारणा इसके विपरीत है उसकी मूल अवधारणा यह थी की जबतक समाज के उपेक्षित लोग समाज के बांकी लोगो के बराबर खड़े नहीं हो जाते है तबतक यह लागु रहेगा क्योंकि सामाजिक आरक्षण का मूल मंत्र यही था की समाज के हरेक वर्ग के लोगो की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्तर पर एक नहीं हो जाते है तब तक जारी रहेगी। और आज़ादी के 67 सालो बाद भी समाज का एक बड़ा तबका अपनी मुलभुत सुविधाओ के लिए तरस रहा है तो उसके सामाजिक न्याय की बात करना बेमानी होगी।
दिक्कत यह है की लोग एक सन्दर्भ को दूसरे सन्दर्भ के साथ को जोड़ कर देखते है। जबकि एक सन्दर्भ हमेशा दूसरे सन्दर्भ से अलग होता है। लोग सामाजिक आरक्षण को जातिगत आरक्षण का नाम  देकर एक दूसरे को दिग्भ्रमित करने की कोशिश करते है, जबकि जातिगत आरक्षण कोई शब्द ही नही है। तो सवाल उठता है की अगर यह जातिगत आरक्षण नहीं है तो क्या है? यह एक सामाजिक आरक्षण है ना की जातिगत आरक्षण। अब सवाल उठता है तो आखिर दोनों में अंतर क्या है। यह सच है की यह जाती आधारित आरक्षण है लेकिन संविधान क्या कहता है इसके बारे में और संविधान सामाजिक आरक्षण कहता है ना की जातिगत आरक्षण। संविधान के अनुसार सामाजिक आरक्षण का मतलब होता है समाज में सामाजिक एकरूपता, आर्थिक एकरूपता और शैक्षणिक एकरूपता ही इसका आधार है। यही मूलतः संविधान कहता भी है।

हम आरक्षण के समर्थक और विरोधी कब है, यह जानना अति आवश्यक है। 85% जनता जो अनुसूचित जनजाति/अनुसूचित जाती/अत्यंत पिछड़ा वर्ग में आता है उसके लिए 49.5% आरक्षण उपलब्ध है जिसमे से आज भी इन 49.5% में से कितने भर पाते है। और बांकी 50.5% आरक्षण किनके लिए है जो मात्र 15% जनसँख्या है। यह तो बात हुई उन आरक्षण के बारे में जो सरकारी नौकरियों में संविधान की प्रतिबद्धता के तहत उपलब्ध है। उन आरक्षण का क्या जिसके ऊपर किसी भी तरह की संवैधानिक मज़बूरी नहीं है जैसे समाज में पंडिताई, मंदिरो/मठों में पुजारियो का स्थान।

आरक्षण का विरोध तब कहाँ चली जाती है जब लोग कूड़ा उठाते है, इसका विरोध तब क्यों भूल जाते है जब झाड़ू लगाना होता है, आरक्षण का विरोध तब क्यों नहीं होता है जब शादी की बात आती है, आरक्षण का विरोध तब क्यों नहीं किया जाता है जब दलितों के नाम पर लोगो को मंदिरो में प्रवेश को प्रतिबंधित किया जाता है।

Friday, March 30, 2018

Dates for cbse X and XII Re Exam





सीबीएसई पेपर लीक मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 10 वॉट्सऐप ग्रुप को आईडेंटिफाई किया है। इन ग्रुपों में 50-60 मेंबर हैं। जांच में सामने आया की बोर्ड की चेयरमैन अनीता करवाल को किसी शख्स मेल भेजा था, जिसमें लीक पेपर्स की तस्वीरें अटैच्ड थीं। पुलिस ने इस बारे में ज्यादा जानकारी जुटाने के लिए गूगल से भी संपर्क किया है। उधर, देशभर में छात्रों और अभिभावकों का प्रदर्शन जारी है। दिल्ली में सीबीएसई के दफ्तर और प्रकाश जावड़ेकर के घर के सामने भी प्रदर्शन किए गए।
पेपर लीक मामले में अब 2 एफआईआर और 30 लोगों से पूछताछ हुई?
-पेपर लीक मामले में अब तक पुलिस ने 2 एफआईआर दर्ज की हैं। वहीं, 18 स्टूडेंट्स और पांच कोचिंग सेंटर संचालकों समेत 40 लोगों से पूछताछ की गई है। लेकिन अभी तक पुलिस को पेपर लीक करने वाले असली आरोपी का कोई सुराग नहीं मिला है।
- झारखंड के चतरा में भी छह छात्रों और कोचिंग संचालकों को हिरासत में लिया गया।
स्टूडेंट्स का विरोध प्रदर्शन जारी
- पेपर लीक होने की वजह से 10वीं और 12वीं के दो पेपर रद्द करने के फैसले के खिलाफ देशभर में विरोध प्रदर्शन जारी हैं।
- दिल्ली में गुरुवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे स्टूडेंट्स ने दावा किया कि सीबीएसई के सभी पेपर लीक हुए थे और दो-दो हजार रुपए में बिके। वहीं, पुलिस सूत्रों का दावा है कि पेपर 30 हजार रुपर से लेकर 200 रुपए तक में बिके हैं।
सीबीएसई चेयरमैन को किसी ने भेजे थे मेल, पुलिस ने गूगल से संपर्क साधा
- पिछले दिनों किसी शख्स ने सीबीएसई की चेयरमैन अनीता करवाल को एक मेल भेजा था। इसमें हाथ से लिखे लीक पेपर्स की फोटो अटैच्ड थीं। पुलिस अब यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि किस शख्स ने ये मेल भेजा था। इसके लिए क्राइम ब्रांच ने गूगल से संपर्क किया है।
जांच: 40 मोबाइल नंबर हाथ लगे
- सोर्स प्वाइंट तक पहुंचने के लिए पुलिस फारवर्ड करने वाले फोन नंबरों की चेन को खंगाल रही है। अभी तक ऐसे 40 मोबाइल नंबर हाथ लगे हैं। इनमें 10वीं के 24 और 12वीं के 10 छात्र हैं। 
- पुलकित शर्मा नाम के युवक ने मिराज नाम के युवक से पेपर मिलने की बात कही। वहीं, पहले आरोपी बनाए गए कोचिंग संचालक विक्की ने मदद के लिए पर्चा फॉरवर्ड की बात कही है।
अंदेशा: सोनीपत, बुलंदशहर से भी जुड़े हो सकते हैं तार
- पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, लीक के तार सोनीपत और बुलंदशहर से जुड़े हो सकते हैं। क्योंकि इस तरह का गोरखधंधा करने वाले कुछ गैंग वहीं पर एक्टिव हैं। ऐसे गैंग पर भी पुलिस नजर बनाए हुए है। पुलिस को अंदेशा है कि इस मामले में कोचिंग संचालक सिर्फ मोहरा भर भी हो सकते हैं। असल में इस पूरे रैकेट के पीछे बड़े नाम भी छिपे हो सकते हैं।

Saturday, March 24, 2018

Yono App | State Bank Of India | SBI





देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने देश का पहला ऐसा प्लेटफॉर्म पेश किया है, जो लाइफ स्टायल और बैंकिंग सर्विस को एक साथ जोड़ता है। फायनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने शुक्रवार को एसबीआई द्वारा पेश YONO- योनो (यू ओनली नीड वन) ऐप लॉन्च किया। इस ऐप को एसबीआई ने अपने ग्राहकों के लिए पेश किया है। जैसा कि इस ऐप के नाम से ही जाहिर है कि इस ऐप के इस्तेमाल से यूजर्स बैंकिंग के साथ-साथ रोजमर्रा की जिंदगी के लिए 60 जरूरी सर्विस एक ही जगह पर इस्तेमाल कर पाएंगे।



एसबीआई के इस ऐप में 14 अलग-अलग कैटेगरी दी गई हैं, जिसमें ट्रैवल, मेडिकल, फैशन, कैब एंड कार रेंटल, ऑटोमोबाइल, डील्स, इलेक्ट्रॉनिक, फूड्स एंड इंटरटेनमेंट, गिफ्टिंग, ग्रॉसरी, जनरल स्टोर्स, हेल्थएंड पर्सनल केयर, होम एंड फर्निशिंग, होस्पिटेलिटी एंड हॉलीडेज, ज्वैलर्स और कई अन्य सेवाएं शामिल हैं। इस ऐप के जरिए यूजर्स कई सर्विस का फायदा एक ही ऐप से उठा सकेंगे।

YONO ऐप में यूजर्स उबर, ओला की बुकिंग से लेकर शॉपर स्टॉप, जबॉन्ग, मैक्स फैशन, मिंत्रा पर शॉपिंग भी कर सकते हैं। इसके अलावा थॉमस कुक, यात्रा जैसी कंपनियां भी इस ऐप में शामिल की गई हैं। इस ऐप के जरिए ही आपको ऑफर्स की जानकारी भी मिल सकेगी। इसके अलावा ये एक पहला ऐसा ऐप है, जिसमें यूजर्स अपनी बीमा पॉलिसी चैक कर सकते हैं और इस तरह के इंवेस्टमेंट प्रॉडक्ट खरीद सकते हैं।



एसबीआई के चेयरमैन रजनीश कुमार का कहना है कि डिजिटिल इंडिया की मुहीम में SBI की नई ऐप बड़ा कदम है। इस ऐप में एक्सेस के लिए यूजर्स को सिंगल यूजर आईडी और पासवर्ड की जरूरत होगी। इस पोर्टल को मिनिमम पॉसिबल क्लिक के लिए डिजाइन किया गया है। बता दें कि इस ऐप को आईओएस और एंड्रॉइड दोनों यूजर्स इस्तेमाल कर सकते हैं।


Friday, March 23, 2018

facebook data scandal | Cambridge analytica



एक ब्रिटिश परामर्शदाता कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका के आरोपों के बाद फेसबुक भारी मुश्किलों का सामना कर रहा है। कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक पर पांच करोड़ फेसबुक उपभोक्ताओं के डेटा का इस्तेमाल बिना उनकी अनुमति के राजनेताओं के लिए करने का आरोप लगाया है। इसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप व ब्रेक्सिट प्रचार अभियान भी शामिल हैं। फेसबुक ने स्वीकार किया है कि करीब 2,70,000 लोगों ने एप डाउनलोड किया और उन्होंने उसपर अपनी निजी जानकारी साझा की। लेकिन कंपनी ने किसी तरह की गड़बड़ी से इंकार किया और कहा कि कंपनी डेटा हासिल करने और उसके इस्तेमाल में सही प्रक्रियाओं का पालन करती है।
यूरोपीय संघ (ईयू) व ब्रिटिश सांसदों की मांग है कि सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक को व्यक्तिगत डेटा का बड़े स्तर पर राजनीतिक उद्देश्यों के लिए दुरुपयोग होने के खुलासे के बाद डेटा सेंधमारी पर स्पष्टीकरण देना चाहिए। कैम्ब्रिज एनालिटिका मामला सामने आने के बाद नेताओं ने जुकरबर्ग को अगले पांच दिनों में विधायी संस्थाओं के समक्ष गवाही के लिए बुलाया है। सीएनएन के मुताबिक, ब्रिटेन की कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने बिना मंजूरी लिए फेसबुक के पांच करोड़ यूजर्स के डेटा का दुरुपयोग किया। इस कंपनी के अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी कथित संबंध हैं।
फेसबुक का कहना है कि शुरुआत में इस डेटा को शैक्षणिक उद्देश्यों के लिए एक प्रोफेसर ने इकट्ठा किया। इसके बाद इस डेटा को फेसबुक की नीतियों को धता बताते हुए कैम्ब्रिज एनालिटिका सहित थर्ड पार्टी को सौंप दिए गए। मार्क जुकरबर्ग ने बुधवार को फेसबुक पोस्ट के जरिए इस पूरे मामले पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि कंपनी यूजर्स के डेटा को बेहतर तरीके से सुरक्षित करने के लिए कई कदम उठा रही है।
जुकरबर्ग ने फेसबुक पोस्ट कर कहा, “मैं कैंब्रिज एनालिटिका से संबंधित महत्वपूर्ण मुद्दे को लेकर पहले से ही उठाए जा चुके कदमों और हमारे अगले कदमों को लेकर अपनी बात रखना चाहता हूं। मैं यह समझने की कोशिश कर रहा हूं कि असल में हुआ क्या और इसे दोबारा होने से कैसे रोका जाए।” जुकरबर्ग ने कहा, “अच्छी खबर यह है कि इसे रोकने के लिए जो जरूरी कदम हमने आज उठाए हैं, वे असल में कई वर्षो पहले ही उठा लिए गए थे लेकिन हमने फिर भी गलतियां कीं लेकिन अब हमें इन्हें दोबारा होने से रोकने के लिए कमर कसने की जरूरत है।”
  • जुकरबर्ग का कहना है कि कंपनी उन सभी ऐप्स की जांच करेगी, जिनके जरिए बड़ी मात्रा में जानकारियां हासिल की गई। जुकरबर्ग ने बुधवार रात सीएनएन को दिए साक्षात्कार में कहा, “छोटा एवं सटीक जवाब यह है कि यदि यही करना सही है तो मैं ऐसा करके खुश हूं। हम फेसबुक के उस शख्स को भेजने का प्रयास करते हैं, जिसके पास सबसे अधिक ज्ञान हो। यदि वह मैं हूं तो मैं खुशी से जाने के लिए तैयार हूं।” हालांकि, वाशिंगटन में फेसबुक की वकीलों और लॉबिस्ट की एक छोटी सी टीम है, लेकिन जुकरबर्ग स्वयं कभी कांग्रेसनल समिति के समक्ष पेश नहीं हुए।
केंद्रीय कानून और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने जुकरबर्ग को भारत के सूचना प्रौद्योगिकी कानून की याद दिलाते हुए कहा, “अच्छा होगा कि आप भारत के आईटी मंत्री के कथनों पर ध्यान दें।” उन्होंने कहा, “अगर किसी भी भारतीय का डेटा फेसबुक की मिलीभगत से लीक होगा तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमें आईटी कानून में जरूरी शक्ति प्राप्त है, जिसके तहत आपको भारत में तलब भी किया जा सकता है।”
भारत से क्‍या है कैम्ब्रिज एनालिटिका का कनेक्‍शन
भारत में, भाजपा व कांग्रेस दोनों ने एक-दूसरे पर डेटा फर्म से संबंध होने के आरोप लगाए हैं। रवि शंकर प्रसाद ने पूदा, ”कांग्रेस ऐसी फर्मों से प्‍यार क्‍यों करती है? पार्टी से मेरा सवाल है कि क्‍या चुनाव जीतने के लिए वह डेटा मैनिपुलेशन और डेटा चोरी पर निर्भर रहेगी? राहुल गांधी की सोशल मीडिया प्रोफाइल में कैम्ब्रिज एनालिटिका की क्‍या भूमिका है?”
कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा, “कांग्रेस और इसके अध्यक्ष ने कभी भी कैंब्रिज एनलिटिका(सीए) का की सेवा नहीं ली है।” सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भाजपा और उसकी सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) ने वर्ष 2010 में कैंब्रिज एनलिटिका की सेवा ली थी। सुरजेवाला ने कहा, “मुझे लगता है कि भाजपा और रविशंकर प्रसाद को कैंब्रिज एनलिटिका का काफी अनुभव है, जिसके बारे में वह कह रहे हैं कि कंपनी डेटा चोरी में संलिप्त है।” उन्होंने कंपनी की वेबसाइट का हवाला देते हुए कहा कि इसका इस्तेमाल वर्ष 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में पूरी चुनावी प्रक्रिया के लिए किया गया था।

Friday, March 16, 2018

अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास Lord Amarnath temple history in Hindi

अमरनाथ मंदिर गुफा का इतिहास – Lord Amarnath temple history in Hindi
इस गुफा के चारो तरफ बर्फीली पहाड़ियाँ है। बल्कि यह गुफा भी ज्यादातर समय पूरी तरह से बर्फ से ढंकी हुई होती है और साल में एक बार इस गुफा को श्रद्धालुओ के लिये खोला भी जाता है। हजारो लोग रोज़ अमरनाथ बाबा के दर्शन के लिये आते है और गुफा के अंदर बनी बाबा बर्फानी को मूर्ति को देखने हर साल लोगो भारी मात्रा में आते है।
इतिहास में इस बात का भी जिक्र किया जाता है की, महान शासक आर्यराजा कश्मीर में बर्फ से बने शिवलिंग की पूजा करते थे। रजतरंगिनी किताब में भी इसे अमरनाथ या अमरेश्वर का नाम दिया गया है। कहा जाता है की 11 वी शताब्दी में रानी सुर्यमठी ने त्रिशूल, बनालिंग और दुसरे पवित चिन्हों को मंदिर में भेट स्वरुप दिये थे। अमरनाथ गुफा की यात्रा की शुरुवात प्रजाभट्ट द्वारा की गयी थी। इसके साथ-साथ इतिहास में इस गुफा को लेकर कयी दुसरे कथाए भी मौजूद है।
पवित्र गुफा की खोज – Baba Barfani Gufa Amarnath temple
कहा जाता है की मध्य कालीन समय के बाद, 15 वी शताब्दी में दोबारा धर्मगुरूओ द्वारा इसे खोजने से पहले लोग इस गुफा को भूलने लगे थे।
इस गुफा से संबंधित एक और कहानी भृगु मुनि की है। बहुत समय पहले, कहा जाता था की कश्मीर की घाटी जलमग्न है और कश्यप मुनि ने कुई नदियों का बहाव किया था। इसीलिए जब पानी सूखने लगा तब सबसे पहले भृगु मुनि ने ही सबसे पहले भगवान अमरनाथ जी के दर्शन किये थे। इसके बाद जब लोगो ने अमरनाथ लिंग के बारे में सुना तब यह लिंग भगवान भोलेनाथ का शिवलिंग कहलाने लगा और अब हर साल लाखो श्रद्धालु भगवान अमरनाथ के दर्शन के लिये आते है।
लिंग – Amarnath temple
40 मीटर ऊँची अमरनाथ गुफा में पानी की बूंदों के जम जाने की वजह से पत्थर का एक आरोही निक्षेप बन जाता है। हिन्दू धर्म के लोग इस बर्फीले पत्थर को शिवलिंग मानते है। यह गुफा मई से अगस्त तक मोम की बनी हुई होती है क्योकि उस समय हिमालय का बर्फ पिघलकर इस गुफा पर आकर जमने लगता है और शिवलिंग समान प्रतिकृति हमें देखने को मिलती है। इन महीने के दरमियाँ ही शिवलिंग का आकर दिन दिन कम होते जाता है। कहा जाता है की सूर्य और चन्द्रमा के उगने और अस्त होने के समय के अनुसार इस लिंग का आकार भी कम-ज्यादा होता है। लेकिन इस बात का कोई वैज्ञानिक सबूत नही है।
हिन्दू महात्माओ के अनुसार, यह वही गुफा है जहाँ भगवान शिव ने माता पार्वती को जीवन के महत्त्व के बारे में समझाया था। दूसरी मान्यताओ के अनुसार बर्फ से बना हुआ पत्थर पार्वती और शिवजी के पुत्र गणेशजी का का प्रतिनिधित्व करता है।
इस गुफा का मुख्य वार्षिक तीर्थस्थान बर्फ से बनने वाली शिवलिंग की जगह ही है।
अमरनाथ गुफा के लिए रास्ता
भक्तगण श्रीनगर या पहलगाम से पैदल ही यात्रा करते है। इसके बाद की यात्रा करने के लिये तक़रीबन 5 दिन लगते है।
राज्य यातायात परिवहन निगम और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर रोज़ जम्मू से पहलगाम और बालताल तक की यात्रा सेवा प्रदान करते है। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर से प्राइवेट टैक्सी भी हम कर सकते है।
उत्तरी रास्ता तक़रीबन 16 किलोमीटर लंबा है लेकिन इस रास्ते पर चढ़ाई करना बहुत ही मुश्किल है। यह रास्ता बालताल से शुरू होता है और डोमिअल, बरारी और संगम से होते हुए गुफा तक पहुचता है। उत्तरी रास्ते में हमें अमरनाथ घाटी और अमरावाथी नदी भी देखने को मिलती है जो अमरनाथ ग्लेशियर से जुडी हुई है।
कहा जाता है की भगवान शिव पहलगाम (बैल गाँव) में नंदी और बैल को छोड़ गए थे। चंदनवाड़ी में उन्होंने अपनी जटाओ से चन्द्र को छोड़ा था। और शेषनाग सरोवर के किनारे उन्होंने अपना साँप छोड़ा था। महागुनास (महागणेश पहाड़ी) पर्वत पर उन्होंने भगवान गणेश को छोड़ा था। पंजतारनी पर उन्होंने पाँच तत्व- धरती, पानी, हवा, आग और आकाश छोड़ा था। और इस प्रकार दुनिया की सभी चीजो का त्याग कर भगवान शिव ना वहाँ तांडव नृत्य किया था। और अंत में भगवान देवी पार्वती के साथ पवित्र गुफा अमरनाथ आये थे।
अमरनाथ गुफा यात्रा – Amarnath Yatra details
हिन्दुओ के लिये यहाँ भगवान अमरनाथ बाबा का मंदिर प्रसिद्ध और पवित्र यात्रा का स्थान है। कहा जाता है की 2011 में तक़रीबन 635, 000 लोग यहाँ आये थे, और यह अपनेआप में ही एक रिकॉर्ड है। यही संख्या 2012 में 625,000 और 2013 में 3,50,000 थी। श्रद्धालु हर साल भगवान अमरनाथ के 45 दिन के उत्सव के बीच उन्हें देखने और दर्शन करने के लिये पहुचते है। ज्यादातर श्रद्धालु जुलाई और अगस्त के महीने में श्रावणी मेले के दरमियाँ ही आते है, इसी दरमियाँ हिन्दुओ का सबसे पवित्र श्रावण महिना भी आता है।
अमरनाथ की यात्रा जब शुरू होती है तब इसे भगवान श्री अमरनाथजी का प्रथम पूजन भी कहा जाता है।
पुराने समय में गुफा की तरफ जाने का रास्ता रावलपिंडी (पकिस्तान) से होकर गुजरता था लेकिन अब हम सीधे ट्रेन से जम्मू जा सकते है, जम्मू को भारत का विंटर कैपिटल (ठण्ड की राजधानी) भी कहा जाता है। इस यात्रा का सबसे अच्छा समय गुरु पूर्णिमा और श्रावण पूर्णिमा के समय में होता है। जम्मू-कश्मीर सरकार ने श्रद्धालुओ की सुख-सुविधाओ के लिये रास्ते भर में सभी सुविधाए उपलब्ध करवाई है। ताकि भक्तगण आसानी से अपनी अमरनाथ यात्रा पूरी कर सके। लेकिन कई बार यात्रियों की यात्रा में बारिश बाधा बनकर जाती है। जम्मू से लेकर पहलगाम (7500 फीट) तक की बस सेवा भी उपलब्ध है। पहलगाम में श्रद्धालु अपने सामन और कपड़ो के लिये कई बार कुली भी रखते है। वहाँ हर कोई यात्रा की तैयारिया करने में ही व्यस्त रहता है। इसीके साथ सूरज की चमचमाती सुनहरी किरणे जब पहलगाम नदी पर गिरती है, तब एक महमोहक दृश्य भी यात्रियों को दिखाई देता है। कश्मीर में पहलगाम मतलब ही धर्मगुरूओ की जमीन।