Wednesday, December 15, 2010

जो बीत गयी सो बात गयी...

जो बीत गयी सो बात गयी...

जीवन में एक सितारा था
माना वो बेहद प्यारा था
वो डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनंद को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे टूटे
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गयी....

जीवन में था वो एक कुसुम
थे उस पे नित्य न्योछावर तुम
वो सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
जो मुरझाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पे
कब मधुवन शोक मनाता है?

जो बीत गयी सो बात गयी...

जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वो टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठते हैं
पर बोलो टूटे प्यालों में कब मदिरालय पछताता है?

मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घाट फूटा ही करतें हैं
लघु जीवन लेके आये हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घाट मधु के प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वो मधु लूटा ही करते हैं
वो कच्चा पीने वाला है जिसकी ममता घाट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है?

जो बीत गयी सो बात गयी...

हरिवंश राय बच्चन

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