Saturday, November 6, 2010

Manmeet



कैसे बताऊँ मैं तुम्हे की तुम मेरे लिए कौन हो,
तुम धडकनों का गीत हो, तुम जीवन की संगीत हो
तू जिंदगी, तू बंदगी, तू रौशनी तू ताजगी
तू हर खुसी,
तू प्यार है, तू प्रीत है, मनमीत है
तू सुबह में, तू शाम में, तू सोच में तू काम में,
मेरे लिए हसना भी तुम, मेरे लिए रोना भी तुम,
मेरे लिए जगाना भी तुम, मेरे लिए सोना भी तुम,
और पाना खोना भी तुम
कैसे बताऊँ मैं तुम्हे की तुम मेरे लिए कौन हो
चन्दन सा तरसा है ये बदन, जिससे बहती है एक अगन
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ तुम्हे हवाओं से मिली,
जुल्फें घटाओं से मिली,
आँखों को चिले मिल गए, होंठों पे कालियां खिल गयी
ये हांथो की गोलाईयन, ये आँचल की परछाइयां
जैसे हज़ारों तितलियाँ
ये नगरियाँ है ख्वाब की
कैसे बताऊँ मैं तुझे हालत दिले बेताब की
कैसे बताऊँ ...................
कैसे बताऊँ मैं तुझे
कैसे बताऊँ की तुम मेरे लिए धर्मं हो
इबादत हो मेरी, तुम ही तो चाहत हो मेरी
मैं ताकता जिसे हर पल हूँ तुम ही तो वो तस्वीर हो
तुम ही तो मेरी तकदीर हो
तू पूरब में, तू पश्चिम में, तू उत्तर में, तू दक्षिण में
मेरे लिए तो रास्ता भी तुम, मेरे लिए मंजिल भी तुम,
मेरे लिए सागर भी तुम, मेरे लिए साहिल भी तुम
तुम्ही तो मेरी पहचान हो
देवी हो मेरे लिए, मेरे लिए भगवान् हो
पूजा हो तुम मेरे लिए, मेरे लिए अजान हो
गीता हो तुम मेरे लिए, मेरे लिए कुरआन हो
कैसे बताऊँ मैं तुम्हे.......
कैसे बताऊँ.....
कैसे बताऊँ की....
की तुम बिन मैं कुछ भी नहीं।

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