Tuesday, October 26, 2010

दिवाली की दीपक जगमगाए आपके आँगन में,
सात रंग सजे इस साल आपके आँगन में,
आया है ये त्यौहार खुशियाँ लेके,
हर ख़ुशी सजे आपके आँगन में,
रोशनी से हो रौशन हर लम्हा आपका,
हर रौशनी सजे आपके आँगन में,
दुआ हम करते हैं आप सलामत रहें,
हर दुआ सजे आपके आँगन में,

दीपावाली की हार्दिक शुभकामनायें

Monday, October 25, 2010

कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,
नन्ही चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है,
मन का विस्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ाना न अखरता है,
आखिर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,
डुबकियाँ सिन्धु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है,
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढाता दुगना उत्साह इसी हैरानी में,
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती,
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो,
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्याग करो,
संघर्ष का मैदान छोड़कर मत भागो तुम,
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वों की कभी हार नहीं होती।

Friday, October 22, 2010

बेसन की सौंधी रोटी पर खट्टी चटनी जैसी माँ,
याद आती है चौंका बासान, चिमटा फुकनी जैसी माँ,
चिड़ियों की चहकार में गूंजे राधेमोहन अली अली,
मुर्गे की आवाज़ से खुलते घर की कुंडे जैसी माँ,
बान के खुर्री खाटके ऊपर हर आहट पर कान धरे
आधी सोई आधी जागी भरी दोपहरी जैसी माँ,
बीवी, बेटी, बहन, पड़ोसन, थोड़ी थोड़ी सी सब में
दिन भर इक रस्सी के ऊपर चलती नटनी जैसी माँ,
बाँट के अपना चेहरा, माथा, ऑंखें, जाने कहाँ गई
फटे पुराने इक एल्बम में चंचल लड़की जैसी माँ...